अजीब सी सर्दगोशी है माहौल में
एक कोहरा जो छ्टता ही नही
कैसे कोई देखे उसकी बेरूख़ी
ये मिजाज़ है मौसम का
ज़हन से हटता ही नही
एक बर्फ है जो रूह के किनारे जमी है
मायूस आँखों के कोरों पे एक नमी है
ना सूरज का सेंक ना रोशनी है इधर
जिसकी तलाश है उस धूप की कमी है
कल वो मुझे खुशनुमा ज़िंदगी सा लगा
आज उसके इर्द गिर्द एक उदासी छुपी है
किस तरह कोई बदले हालत फज़ाओं के
अभी कहाँ हवाओं के रुख़ से बर्फ हटी है
2 comments:
beautiful mind.....*
Thanks Ankit
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